9 कारण: वैज्ञानिकों के अंधविश्वासी आचरण की आलोचना करना क्यों जरूरी है?


वैज्ञानिकों के अंधविश्वासी आचरण की आलोचना करना क्यों जरूरी है? ये हैं 9 कारण, जो आपको भी जानना चाहिए।  

(1) जब हम जनता के अंधविश्वासी आचरण की आलोचना करते हैं तब लोग कोई वैज्ञानिक का नाम लेकर कहते है कि देखो, ये महान वैज्ञानिक भी ऐसा ही करते हैं, जैसा हम करते हैं।

(2) लोग कहते हैं कि वैज्ञानिक भी ईश्वर को मानते हैं। वैज्ञानिक मंदिर भी जाते हैं। पूजा पाठ भी करते हैं। क्या आप इस वैज्ञानिक से ज्यादा ज्ञानी हैं?

(3) लोग ऐसी वाहियात दलील इसलिए कर सकते हैं क्योंकि कुछ वैज्ञानिक अंधविश्वासी होते हैं। वो विज्ञान के साथ वफाई नहीं करते हैं। विज्ञान उनके लिए सिर्फ एक कमाई का जरिया है। ऐसे फर्जी वैज्ञानिकों की हमे कड़ी आलोचना करनी चाहिए।
(4) न्यूज पेपर में पढा था कि इसरो के वैज्ञानिक भी रॉकेट लोंचिंग के सफल परीक्षण के बाद भगवान को थैंक्यू बोलने के लिए मंदिर जाते हैं। ऐसे समाचारों की जनता में बहोत गहरी और व्यापक असर होती है। इसलिए वैज्ञानिक के अंधविश्वासी आचरण की कड़ी से कड़ी आलोचना करनी चाहिए। इतनी आलोचना करनी चाहिए कि हमारी बात उन तक पहुंचे और उन्हें अपने आचरण में सुधार करने जरूरत महसूस हो।

(5) चंद्रयान मिशन फेल होने के अनेक कारणों में से एक कारण है कि इसरो के वैज्ञानिकों का स्तर गिरा है।

(6) वास्तव में हम जिसे वैज्ञानिक कहते हैं वो वैज्ञानिक नहीं है। वो टेक्नीशियन होते हैं। जैसे दुनिया में किसी ने मिसाइल बना ली है, उस टेक्नोलॉजी का उपयोग करके अगर कोई व्यक्ति दुसरी मिसाइल बनाता है तो वह टेक्नीशियन है, वैज्ञानिक नहीं।

(7) इसी तरह दुनिया में किसी जगह परमाणु बम का परिक्षण हो चूका है और उस टेक्नोलॉजी का उपयोग करके कोई व्यक्ति परमाणु बम बना लेता है तो वह टेक्नीशियन है, वैज्ञानिक नहीं।

(8) ऐसे आधे-अधूरे वैज्ञानिक विज्ञान को अच्छी तरह समझ नहीं पाते हैं। धर्म ईश्वर अल्लाह को छोड़ नहीं सकते हैं। मंदिर में सिर झुकाकर खडे मिलते हैं। कोई बाबा के चरणों में नतमस्तक झुके हुए दिख सकते हैं। इस तरह झुकना कोई नम्रता नहीं है। नादानी है। नमन नमन में फर्क है। बहुत नमे नादान।

(9) वास्तव में पारिवारिक संस्कारों के कारण ऐसे बच्चे वैज्ञानिक बनने के बाद भी धर्म की मायाजाल में से बाहर नहीं निकल पाते हैं। हमें उनको फोलो करने की जरूरत नहीं है। उनको धर्म में मानना है तो मानने दिजिये। हमे मानना है कि नहीं उसका निर्णय हम लेंगे तर्क और सत्य के आधार पर निर्णय लेंगे।

रेशनलिस्ट अनिल
तस्वीर प्रतीकात्मक। सौरभ दुबे द्वारा नेचर ब्लॉग से साभार।
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