कुछ मित्र
कहते है कि नास्तिक होना तलवार की धार पर चलने जैसा कठिन है। मैं सहमत हूँ कि कठिन
है, लेकिन इतना कठिन भी नहीं है। मैं आपको स्ट्रेटजी बताता हूं। नास्तिक रहना है। डीकलेर भी करना है, लेकिन
समाज के साथ मिलकर रहना है। कैसे करना है, मैं समझाता
हूं।
1. जब तक आप नास्तिकता को पूरी तरह समझ ना ले तब तक स्टडी करते रहे। फेसबुक और वॉटसएप पर पढते रहिए। पुस्तक भी पढिए। शूरू में चर्चा मत करिए। ब्रह्मांड की उत्पत्ति, जीव की उत्पत्ति, स्रृष्टि का संचालन, स्वर्ग नर्क, आत्मा परमात्मा, ईश्वर, अल्लाह, कुरान, कर्म, पुनः जन्म, पूर्वजन्म सारे मुद्दे पर एक साल तक गहन अध्ययन किजिये।
1. जब तक आप नास्तिकता को पूरी तरह समझ ना ले तब तक स्टडी करते रहे। फेसबुक और वॉटसएप पर पढते रहिए। पुस्तक भी पढिए। शूरू में चर्चा मत करिए। ब्रह्मांड की उत्पत्ति, जीव की उत्पत्ति, स्रृष्टि का संचालन, स्वर्ग नर्क, आत्मा परमात्मा, ईश्वर, अल्लाह, कुरान, कर्म, पुनः जन्म, पूर्वजन्म सारे मुद्दे पर एक साल तक गहन अध्ययन किजिये।
2. एक साल के बाद चर्चा शुरू
किजिये। फेसबुक पर नये नास्तिकों के प्रश्नों के उतर दिजिये।
3. फिर घर में, दोस्तों में चर्चा शुरू किजिये। शुरू शुरू में थोडी दिक्कत आयेगी लेकिन
तीन चार महीने में आप नास्तिकता की चर्चा की कला जान जायेंगे। पहली कमेन्ट में
मैंने कुछ सुझाव दिये हैं वो पढ लिजिए ।
4. एक साथ एक मोर्चे पर ही
लडिये। एक साथ अनेक मोर्चे खोल देंगे तो आप मुश्किल में पड़ जायेंगे। पहले फेमिली
और एक दो दोस्त के साथ चर्चा शुरू करिए।
5. परिवार, समाज और मित्र नास्तिकता की आपकी बात नहीं समझ रहे हैं तो नाराज मत होना। संबंध में कड़वाहट नहीं आनी चाहिए। उनके साथ खाने पीने, मुवी देखने, खेलने और हसी मजाक के कार्यक्रम जारी रखिए। संबंध रहेंगे तो ही लोग आपकी बात सुनेंगे।
5. परिवार, समाज और मित्र नास्तिकता की आपकी बात नहीं समझ रहे हैं तो नाराज मत होना। संबंध में कड़वाहट नहीं आनी चाहिए। उनके साथ खाने पीने, मुवी देखने, खेलने और हसी मजाक के कार्यक्रम जारी रखिए। संबंध रहेंगे तो ही लोग आपकी बात सुनेंगे।
6.
नास्तिकता हमें क्युं चाहिए? क्योंकि
धर्म झगड़ा करवाता है। समाज को बांटता है। ऐसा ना हो
कि नास्तिकता के कारण हम समाज से अलग-थलग पड जाय। यह बात लोगों के उदहारण से
समझायें।
लेकिन एक बात, याद रखिये इन्सान सोचने वाला प्राणी है, वह आपकी बात को समझ
सकता है। हाँ पर यह ध्यान रखिये एक
नास्तिक किसी भी व्यक्ति के विचारों का सम्मान करता है और अपनी नास्तिकता किसी
दुसरे पर थोपता नहीं।
– अनिल पटेल