आइये विज्ञान की
नज़र से जानते है कि हाथों में बनी ये लकीरे क्यों बनती है और इनकी मानव शरीर में
क्या उपयोगिता है।
हस्त रेखाओं को
विज्ञान की भाषा में Palmar
Flexion Creases कहा जाता है और इनका
निर्माण गर्भ में ही भ्रूण के 10 वे सप्ताह में होने लगता है। मुख्य रूप
से यह रेखाएँ अनुवांशिक रूप में भी आकार लेती है और जन्म से ही बच्चों के
हाथो में देखी जा सकती है।
एक प्रयोग करें!
अपनी हाथों की रेखाओं को अपने माता-पिता या परिवार के अन्य सदस्यों की रेखाओं से
मिलाने प्रयास करें। आप हैरान
होंगे कि कई बार 95% से भी ज्यादा समानता के साथ ये रेखाएँ और उनकी
बनावट अन्य सदस्यों के हाथो की रेखाओं से मिलती हैं।
बात यह है कि जिस तरह हमारा
रंग, रूप, नैन, नक्श आदि परिवार पर जाते हैं, उसी तरह हाथों की लकीरें भी। यह एक
सामान्य शारीरिक घटना है।
सामान्य
रूप से हाथों में बनी ये लकीरें हाथों को पूरी
तरह खोलते या बंद करते समय त्वचा को लचक देने का काम करती हैं। टाइपिंग जैसे
कार्यों जहाँ हाथ अंदर की ओर मुड़ते हैं, वहाँ हथेली का मांस इन्हीं रेखाओं से
मुड़ता है, और खोलते समय यही रेखाएँ चौड़ी होती हैं। किसी वस्तु
को ठीक से पकड़ते समय भी इन रेखाओं का काम महत्वपूर्ण हो जाता है।
एक विशेष बात
यहाँ ध्यान देने की है कि हस्त-ज्योतिष की मुख्य अवधारणा 3 प्रमुख
रेखाओं के ऊपर बनी है जिसे मस्तिष्क रेखा, हृदय रेखा
और जीवन रेखा कहते हैं। पर मजे की बात यह है कि बहुत से व्यक्तियों के
हाथों में 2 या कभी कभी 1 ही रेखा
होती है। इस तरह के मामलों को शरीर-शास्त्री Simian Crease
कहते हैं, जिसका
मुख्य कारण कई बार किसी मस्तिष्कीय अक्षमता Down’s Syndrome
को भी
दर्शाता है।
लेकिन चालाक
ज्योतिषियों ने इसके लिए भी अपने अपने अनोखे तर्क निकाल रखे हैं और जनता को डराने
के लिए इन्हें भी दुर्भाग्य से जोड़ दिया जाता है।
हद तो तब हो
गई जब जापान जैसे देश में एक वेब पत्रिका ‘डेली मेल’ के द्वारा की गई पड़ताल में
सामने आया कि ज्योतिष भीरु लोग अपने हाथों पर सर्जरी के द्वारा जन्मजात रेखाओं को
बदलकर अच्छी भबिष्य को लाने वाली रेखाओं को लेज़र से बनवाना चाहते हैं। पाम सर्जरी
अब धीरे-धीरे वहाँ एक कारोबार बन रहा है। वर्ष 2011 में जापान
के एक क्लिनिक में 37 पाम सर्जरी करवाई गयी।
डॉ. मात्सुको
ने ‘डेली मेल’ को बताया की एक सर्जरी को 15 से 20 मिनट लगते
हैं और लेज़र के द्वारा हाथों की पुरानी लकीरों को हटाकर जैसी चाहिए, वैसे लकीरें
बनवाई जा सकती हैं। प्रति सर्जरी खर्च लगभग £662 अर्थात
लगभग 60 हज़ार रूपये आता है।
इस तरह हाथों
की लकीरें बदल कर भाग्य बदलने की उम्मीद दिलाने वाले ठग वहाँ भी मौजूद है।
वैज्ञानिकों के अनुसार
हमारे हाथ की उंगलियों का विकास या हाथों की रेखाओं से शरीर और मस्तिष्क की किसी
कमज़ोरी का पता तो लग सकता है, जैसे कि अन्य अंगों के अविकसित रह जाने पर हम अंदाज़
लगाते हैं, लेकिन इन रेखाओं का हमारे भविष्य से कोई भी सबंध नहीं है।
जाते-जाते आपको गोरिल्ला के हाथों में होने वाली कुछ रेखाओ को दिखा जाते हैं, शायद इसमें भी कोई राजयोग हमारे ज्योतिषी ढूढ़ कर निकाल सकें।
तस्वीर HowStuffWorks से साभार। |
अब अगली बार
अगर कोई ज्योतिषी आपका हाथ देखे, तो क्या करना है, ये तो आप अच्छी तरह समझ ही गए
होंगे।
– प्रोफेसर (डॉ.) ऋषि आचार्य
यह लेख आपको कैसा लगा ? अपने कमेंट में हमें ज़रूर लिखें और इस लेख को अधिक से अधिक लोगों तक शेयर करें। यदि आप भी ‘नास्तिक भारत’ के लिए तर्कशीलता, वैज्ञानिक तथ्य एवं नास्तिकता पर कोई लेख लिखना चाहते हैं अथवा अपने अनुभव हमसे साझा करना चाहते हैं, तो लिख भेजिए हमें nastik@outlook.in पर। हम चयनित लेखों को नास्तिक भारत पर प्रकाशित करेंगे।