क्या आप ईश्वर को नहीं मानते, तो दीजिए इन 20 सवालों के जवाब

 
इस शीर्षक से तथा पत्रिका के माध्यम से दिनांक 17 मई 2019 को अमित शर्मा जी ने 20 सवाल पूछे थे और लिखा था कि कोई चीज है जो दिखाई नहीं देती, इसका अर्थ यह नहीं है कि वह है ही नहीं। हवा, खुशबू, दर्द, भूख हमें दिखाई नहीं देती तो क्या वह नहीं है।

नास्तिक का मानना है कि ईश्वर नहीं है। नास्तिकों से मेरे कुछ सवाल हैं, इनका जवाब दे दीजिए हम भी नास्तिक बन जाएंगे।

अब हम यहाँ उनके सवालों का जवाब लिख रहे हैं, लेकिन स्पष्ट कर देता हूँ, कि इसके लिए उनको नास्तिक होने की जरुरत नहीं है. यदि जब तक कि वे खुद कन्विंस नहीं होते, उनका तर्कशील और वैज्ञानिक सोच का होना जरुरी है

अमित शर्मा जी के सवाल गहरे, ईमानदारी से पूछे गए हैं और इनसे यह स्पष्ट है कि वे सत्य की खोज में हैं। आइए एक-एक करके बात करते हैं, बहुत ही सरल, सम्मानजनक और तार्किक ढंग से बिना किसी को नीचा दिखाए या मज़ाक उड़ाए। मेरा उद्देश्य न आस्तिकता साबित करना है, न नास्तिकतासिर्फ यह कि हम मिलकर सोचें।

🔹 पहले कुछ बुनियादी बातें:

  • "नास्तिक" का अर्थ हर किसी के लिए अलग हो सकता है। भारतीय परंपरा में चार प्रकार के दर्शन को "नास्तिक" कहा गया (जैसे चार्वाक, जैन, बौद्ध आदि), पर इसका यह अर्थ नहीं कि वे बौद्धिक रूप से हल्के थे।
  • नास्तिकता का मूल सिद्धांत है: "हम तब तक किसी चीज़ को नहीं मानते जब तक उसके ठोस प्रमाण न हों।"
  • यानी नास्तिक होने का अर्थ यह नहीं कि उसे सब कुछ 'पता' है, बल्कि कि वह सब कुछ 'जांचने' की कोशिश करता है, और किसी चीज़ को अंधश्रद्धा से नहीं मानता।

अब आपके सवालों की बात करते हैं:

1. आपको कैसे पता चला कि ईश्वर नहीं है?

👉 नास्तिक यह नहीं कहता कि “100% ईश्वर नहीं है।वह सिर्फ कहता है कि अब तक कोई ठोस प्रमाण नहीं मिला, इसलिए मानने का कारण नहीं है। वैसे भी ईश्वर के होने के कोई विशेष प्रयोजन नहीं है, क्योंकि ईश्वर को मानने वाले और न मानने वाले दोनों तरह के लोग नैतिक होते हैं और अपने जीवन को बेहतरी से जीते हैं। ईश्वर होता है यह जानने से पहले ही बचपन से बच्चों के मन में ईश्वर नामक धारणा डाल दी जाती है, जबकि वह उसके तर्क, अनुभव, खोज या ज्ञान से नहीं उपजा है। 

2. क्या आपने तप, योग आदि करके पता किया?

👉 कुछ नास्तिक योग भी करते हैं, पर यह मानते हैं कि योग शरीर और मन के लिए है, ईश्वर के अस्तित्व का प्रमाण नहीं। बुद्ध ने योग तप सभी किये थे, लेकिन वे ईश्वर में यकीन नहीं करते थे

3. क्या भक्ति की पराकाष्ठा से आगे निकल गए हैं?

👉 नहीं, पराकाष्ठा या चरम भक्ति एक भाव है। नास्तिक उस भाव की विवेचना करता हैयह पूछता है कि यह अनुभूति कहाँ से आती है। कई सारे भक्ति करने वाले लोग इतने भ्रमित हो जाते हैं, कि वे अंधभक्त बन जाते हैं। उन्हें न सत्य से मतलब होता है और न सामाजिक नैतिकता से। इस क्रम में वे अंधविश्वास को भी मानने लगते हैं, कई तो पाखंड को भी धर्म और ईश्वर से जोड़कर उसका समर्थन करने लगते हैं

4-5. ब्रह्मांड अपने आप कैसे चल रहा है? अन्य ग्रहों पर जीवन क्यों नहीं?

👉 जीवन के लिए विशेष परिस्थिति चाहिए: पानी, तापमान, वातावरण आदि। पृथ्वी पर ऐसा संयोग बना, बाकी ग्रहों पर नहीं। इसका मतलब ईश्वर हैयह ज़रूरी नहीं।

6-7. पहला इंसान कैसे पैदा हुआ, आज क्यों नहीं होता?

👉 विज्ञान के अनुसार पहला इंसान धीरे-धीरे विकास (Evolution) से बनाएक दिन में नहीं। आज के इंसान को बनने में लाखों साल लगे। अब जो इंसान हैं, वे उसी प्रक्रिया की निरंतरता हैं। आज भी जीवों का म्युटेशन हो रहा है, लेकिन यह प्रक्रिया इतनी लम्बी है कि हम इसे अपने जीवन काल में नहीं देख पाते

8-9. अंगुली की बनावट और विविधता क्यों है?

👉 जेनेटिक वेरिएशन (DNA में अंतर) के कारण। हर इंसान अनोखा हैयह विकासवादी लाभ है ताकि सबकी पहचान अलग हो और विविधता बनी रहे। हर इंसान का जीन अलग होने के साथ ही वह जीवन में अर्जित गुणों को जीन में शामिल करता है, और अपने संतति में ट्रान्सफर करता है, चाहे वह उपयोगी हो अथवा बाधक

10-11. ग्रह टकराते क्यों नहीं?

👉 गुरुत्वाकर्षण और गति के नियम (जैसे न्यूटन और केपलर ने बताए) के कारण। एक व्यवस्थित संतुलन बना हुआ है, यह प्रकृति के नियमों से चलता है—not necessarily because of an external god.

12. रॉकेट सूर्य में क्यों नहीं गिरता?

👉 रॉकेट धरती से बाहर निकलता है, लेकिन सूर्य के पास नहीं जाता क्योंकि वह अपनी गति और दिशा से अलग कक्षा में चला जाता है। सब कुछ गति, बल और ऊर्जा पर आधारित है।

13. चाँद कैसे बना, धरती के टुकड़े कहाँ हैं?

👉 चाँद एक टक्कर से बना (theory of giant impact)। धरती के टुकड़े पिघल कर फिर जुड़ गए या अंतरिक्ष में गए। वैज्ञानिक उत्तर सीमित डेटा पर आधारित होते हैं, पर इनमें धीरे-धीरे प्रगति होती रहती है।

14. आत्मा को जानने वाले यंत्र क्यों बनते हैं?

👉 वैज्ञानिक अब "चेतना" (consciousness) को समझना चाहते हैं। आत्मा की जगह मन, न्यूरॉन्स, दिमाग की प्रक्रिया को जानने की कोशिश करते हैं। "आत्मा" का वैज्ञानिक प्रमाण नहीं हैइसलिए उस पर शोध हो रहा है।

15-16. अगर सब अपने आप हुआ तो जीवन अमर क्यों नहीं?

👉 अमरता प्रकृति के खिलाफ है। हर चीज़ में विनाश और सृजन की चक्री गति है। DNA अलग-अलग है क्योंकि वह अनुकूलन और परिवर्तन के लिए बना है।

17. गाड़ी अपने आप क्यों नहीं चलती, बिजली अपने आप क्यों नहीं बनती?

👉 क्योंकि उनमें "ऊर्जा" डालनी पड़ती है। ब्रह्मांड में "अपने आप" का मतलब यह नहीं कि जादू से सब हो गया, बल्कि कि प्राकृतिक नियमों से हुआ।

18-19. 4 अरब साल पहले ही क्यों सब हुआ? पहले क्यों नहीं?

👉 समय भी एक प्रक्रिया है। ब्रह्मांड के बनने की भी समयरेखा है। उससे पहले "समय" जैसा कुछ नहीं था (Big Bang theory)। सूर्य के बिना जीवन नहीं पनपताक्योंकि ऊर्जा नहीं होगी।

20. बीज अपने आप कैसे बने? अब क्यों नहीं बनते?

👉 बीज भी लाखों वर्षों के विकास से बने। अब भी नए-नए पौधे बनते हैं, पर वह धीमी प्रक्रिया हैहर दिन नहीं दिखती। कई पौधे विलुप्त भी हो जाते हैं। यही बात जानवरों के साथ भी है। डायनासोर जैसे जीव आज नहीं है, क्योंकि विशेष परिस्थिति में वह खुद को वातावरण के साथ अनुकूलित नहीं कर पाया

"हवा, दर्द, भूख दिखती नहीं पर होती है"यह सच है।

पर याद रखिए: हम हवा को महसूस कर सकते हैं, माप सकते हैं। दर्द को न्यूरो-सिग्नल्स से समझ सकते हैं। भूख को हार्मोन (ghrelin) से जान सकते हैं।

यानी ये चीजें प्रमेय (measurable) हैं।

ईश्वर या आत्मा को अगर इस तरह मापा या महसूस किया जा सके, तो वैज्ञानिक भी मान लेंगे। अब तक ऐसा प्रमाण नहीं है, इसलिए नास्तिक नहीं मानते। अगर मिल जाए तो मानेंगे। यही अंतर है।

🔹 अंत में — "नास्तिक कौन?"

नास्तिक वह नहीं जो अंधा होकर 'ईश्वर नहीं' कहता है।
नास्तिक वह है जो पूछता है, "क्या ईश्वर है? अगर है तो कैसा है? क्या उसका प्रमाण है?"

जैसे आप सवाल कर रहे हैंवैसे ही एक सच्चा नास्तिक सवाल करता है।

आप चाहे आस्तिक रहें या नास्तिक सवाल पूछना, तर्क करना और खुले मन से सोचने की कोशिश करना ही सबसे जरुरी है।

Previous Post Next Post