क्या आपको पता है, 23 मार्च कौन-सा दिवस है? जी हाँ! शहीद दिवस। इसी दिन यानि 23 मार्च, 1931 को भगत सिंह, सुखदेव थापर और शिवराम राजगुरु ने अपने देश
के लिए अपने जानों की आहुति दे दी। हमें उनकी देशभक्ति पर गौरव है और हमें उनके देश
के लिए दिए बलिदानों को याद करना चाहिए। लेकिन यह दिन एक अन्य कारण से भी इतिहास में दर्ज हो चुका है।
यह दिन अब 'विश्व नास्तिकता दिवस' के लिए पुरी
दुनिया में मनाया जाने लगा है। आपको पता है, भगत सिंह भी नास्तिक थे और नास्तिकता
पर लिखा उनका लेख मैं नास्तिक क्यों हूँ बहुत चर्चित रहा है। यह सुखद संयोग ही है
कि शहीद दिवस के ही दिन अब नास्तिक दिवस भी मनाए जाने शुरुआत हो चुकी है।
आज विश्व में नास्तिकता या कहें तर्कशील
आन्दोलन बड़ी तेज़ी से फ़ैल रहा है और भारत इसका कोई अपवाद नहीं है। समय के साथ रूढ़
परम्पराएं बदलती हैं, नए विचार समाज में नई संस्कृति और आचार-व्यवहार निर्मित करने
का काम करती है। याद है आपको कोई बीस साल पहले भारत में ज्यादातर लोग 'वैलेंटाइन
दिवस' के बारे में जानते तक नहीं थे।
समाज प्रेम को, लड़का-लड़की के मिलने को शंका की
दृष्टि से देखता था। आज स्थिति बदली है। अब कई युवा खुलकर प्रेम कर रहे हैं, समाज
में खुल के स्वीकार कर रहे हैं और कई तो प्रेम विवाह भी कर रहे हैं। जाति धर्म अतार्किक
और सड़ी-गली धारणाओं को इसने तोडा है। हालाँकि आज भी प्रेम के खतरे कम नहीं हैं और
ऑनर किलिंग के भी चांस हैं।
माफ़ कीजियेगा, हमें बात करनी थी 'नास्तिकता
दिवस' पर और बात करने लग गया, वैलेंटाइन दिवस तथा प्रेम पर! दरअसल जिस तरह से समाज
में युवाओं के आगे आने से, अपनी दिल की बात सुनकर हिम्मत करने से प्रेम करने की
परिस्थिति भारत में बेहतर हुई है, वैसे ही उम्मीद किया जा सकता है कि भारत में भी
तर्कशील आन्दोलन और नास्तिकता की स्वीकार्यता बढ़ेगी।
आईये अब बात करते हैं कि कैसे मनाये 'विश्व नास्तिकता दिवस' ? कुछ टिप्स हैं, जो हम आज सुझा रहे हैं, हो
सकता है आने वाले सालों में लोग खुद से कई तरीके खुद से ईज़ाद कर लेंगे, नास्तिकता
दिवस मनाने का।
नास्तिकता दिवस मनाने के लिए आप निम्न ग्यारह क्रियाकलाप कर सकते हैं –
एक : अपने परिवार के साथ तर्कशीलता पर चर्चा
करें
बहुत सारे मित्रों की यह फरियाद रहती है कि यार! हम तो नास्तिक हैं, ईश्वर को नहीं मानते, लेकिन मेरी जीवनसाथी समझने को
तैयार ही नहीं है। मेरा जीवनसाथी है, वो समझने को तैयार नहीं। बॉयफ्रेंड है,
वह नहीं समझता है। गर्लफ्रेंड तो नास्तिकता और तर्क पर बात करने से
गाली देती है। वो ईश्वर, मंदिर, पूजा-पाठ
में से बाहर ही नहीं निकलती है। धर्म पर सुनने को ही तैयार नहीं होती है। घर का
माहौल ही ख़राब हो गया है। कोई बात सुनने को तैयार ही नहीं है। यार! जीने का मजा
ख़राब हो गया है।
..तो आज के दिन उनसे कहिये कि आप रोज-रोज धर्म
के क्रियाकलाप, पूजा-पाठ और धार्मिक त्यौहार मनाते हो, आज का एक दिन तुम मेरे साथ
नास्तिकता अथवा तर्कशील सोच पर बात करते हैं। उम्मीद है, मना नहीं किया जायेगा।
यदि सहमत न भी हों, तो निराश न हों और न ही जोर-जबरदस्ती करें। अगर परिवार में एक
विचारधारा का नहीं भी हो, तो कमसे कम वैज्ञानिक सोच
वाले बच्चे तो होंगे ही, उनके साथ ही चर्चा करके इसकी शुरुआत कर सकते हैं। बाकि कई
और टिप्स तो अभी बताने हैं।
दो : नास्तिक साहित्य पढ़ें अथवा फिल्म देखें
यह सबसे आसान और मज़ेदार हो सकता है। यदि आप
पढ़ाकू हैं, तो नास्तिकता, तर्कशील चिंतन पर कुछ बेहतरीन लेख अथवा पुस्तक का अध्ययन
कर सकते हैं। यदि आपने भगत सिंह का आलेख मैं नास्तिक क्यों हूँ, नहीं पढ़ा है, तो
इसे पढ़ सकते हैं और ढूँढने की आवश्यकता नहीं, यह रहा उस लेख का लिंक। इसके
अतिरिक्त कई फिल्में हैं नास्तिकता पर उसे देख सकते हैं। भारत में तो 'ओह माय गॉड' और 'पीके' तो हैं हीं, यू-ट्यूब पर भी कई सारे शोर्ट फिल्में आज उपलब्ध है।
तीन : रैली निकालें और सॉलिडेरिटी दिखाएं
हमारे आसपास कई लोग नास्तिक हैं, पर हमें
मालूम नहीं है। ऐसे में यदि आप किसी शहर में हैं और कम से कम दस नास्तिकों को
जानते हैं, तो उनको रैली निकालने के लिए राजी करें। क्या पता आपका यह प्रयास ऐतिहासिक
हो जाये और अगली बार खुद-ब-खुद लोग इकठ्ठा होने लगाएं।
चार : नास्तिक साथियों के साथ किसी रेस्टोरंट
में पार्टी करें
आप कुछ नहीं तो यह कर ही सकते हैं। तो अपने
नास्तिक साथियों को कॉल करें और कहें कि हमलोग नास्तिक दिवस को सेलिब्रेट करने के लिए
पार्टी करने वाले हैं। वहां सभी लोग अपने नास्तिक बनने की कहानी को एक-दुसरे से
साझा करें और अपनी दोस्ती को और भी मजबूती दें।
पांच : पड़ोस में कोई चर्चा का आयोजन करें
आस पास के स्कूल, कॉलेज अथवा पार्क में धर्म
और ईश्वर के मानने के क्या क्या नुकसान हैं, यह बात समझाइए। उसपर चर्चा कीजिये। धर्म के नाम पर हुए दंगों,
मंदिर-मस्जिद की लडाई, हिन्दू-मुसलमान करने के
नुकसानों के बारे में बताईये। आपसी भाईचारे में धर्म के कारण आई घृणित भावना की
बात उदाहरणों के माध्यम से समझाईये और उनसे भी पूछिये कि वो इसपर क्या सोचते हैं।
संभव हो, तो भगत सिंह का लिखा लेख, मैं नास्तिक क्यों हूँ लोगों में बांटे।
छः : वीडियो बनाईये और बताईये कि आप नास्तिक
क्यों हैं?
आज जमाना यू-ट्यूब का है, तो अपना स्मार्ट
फोन उठाईये और रिकॉर्ड करिए अपना वीडियो, बताईये आप नास्तिक क्यों हैं? यह काम
अकेले न कर सकें, तो अपने दोस्तों के साथ करें। बारी बारी से वीडियो बनाएं और अपने
यू-ट्यूब चैनल पर अपलोड करें। यदि आपका कोई यू-ट्यूब चैनल नहीं है, तो इसकी शुरुआत
आज से ही करिए।
सात : नास्तिकता पर एक लेख लिखें और अपने
ब्लॉग पर डालें
आज के दिन तो आप यह कर ही सकते हैं। कलम और
कागज़ उठाईये अथवा अपना फोन लीजिये और टाइप कर लिखते जाईये और बताईये कि आप नास्तिक
कैसे बनें। आप इसे अपने ब्लॉग और फेसबुक पर डालिए। आप चाहें तो नास्तिक भारत को भी
भेज सकते हैं। नास्तिक भारत ने इसपर तो बकायदा एक सीरिज शुरू किया है, जो पहले 'नास्तिक दिवस' से चलेगा।
क्या पता आपके लेख को वहां प्रकाशित किये जाने से हजारों लोग आपके विचारों को जानेंगे। लेख आधा-पेज अथवा एक-पेज का भी हो सकता है, जैसी भी भाषा हो,
परवाह न करें। सबसे जरुरी बात है, अपने अनुभव को लिखना। अधिक जानकारी के लिए 'नास्तिक भारत' के वेबसाइट पर जायें।
आठ : नास्तिकता पर पैम्फलेट बांटे या
बंटवायें
वैसे इसकी थोड़ी चर्चा ऊपर हो चुकी है। इस दिन
के लिए आप एक पैम्फलेट तैयार करें और किसी चौक-चौराहे, स्कूल, कॉलेज, दोस्तों,
रिश्तेदारों आदि के बीच बाँटिये। आप चाहें, तोइसके लिए अख़बार के हॉकर की भी मदद ले
सकते हैं। आप अपना पैम्फलेट उसे अख़बार के साथ बांटने को कहें और मामूली शुल्क लेकर
वह राजी भी हो जायेगा।
नौ : स्लोगन, पोस्टर बनायें और पोस्ट करें
आज सोशल मीडिया का जमाना है। नास्तिक
महापुरुषों के स्लोगन पोस्ट करें। आप नास्तिकता पर बात करने वाले
महापुरुषों की वाणी का संग्रह करें, अपने फेसबुक, ट्विटर, व्हाटसप आदि माध्यम से
लोगों को भेजें। आपको पोस्ट बनाने आते हों, तो पोस्टर बनाएं और लोगों के साथ साझा
करें। आप ज्योतिबा फूले, डॉ. अंबेडकर, राहुल सांकृत्यायन, भगत सिंह, कार्ल
मार्क्स, लेनिन, स्टीफन हाकिंग, काबूर आदि के विचारों को
इसके लिए ले सकते हैं।
दस : घर को सजाईये और दोस्तों को आमंत्रित
कीजिये
घर के एक कमरे को आप नास्तिकता के स्लोगन से
सजाएं, बैलून, रंग-बिरंगे कागज़ आदि से घर को सजाएं। कोई खाश खाने का मेन्यु बनाईये
और दोस्तों को खाने के लिए आमंत्रित कीजिये। उनको बताईये यह दिन आपके लिए क्यों
खाश है। यदि अधिक तैयारी करने का मन नहीं हो, तो एक बड़े वाले केक का ऑर्डर कीजिये, कुछ स्नैक्स, पकोड़े आदि बनाईये और नास्तिक साथियों के साथ एन्जॉय किये। ध्यान रखें, इस मूल्यवान दिन को शराब वाली पार्टी न बनने दें। क्योंकि यह दिवस विचारों, तर्कशीलता और नास्तिकता का है। शराब पीने के बाद पार्टी करना ऐसे मूल्यवान दिन को बर्बाद करना होगा। बाकी आप खुद स्वतन्त्र हैं।
ग्यारह : सेमिनार अथवा अकादमिक गोष्ठी का आयोजन
यदि आप सक्षम हैं, तो अपने साथियों के साथ
मिलकर सेमिनार अथवा अकादमिक गोष्ठी का आयोजन कर सकते हैं। ऐसे कार्यक्रम में अपने
परिचितों को बुलाएं, पर अधिक आग्रह न करें। इस आयोजन में तर्कशीलता, वैज्ञानिक आधार पर जादूटोना की आलोचना और
इंसानियत तथा पर्यावरण पर बात की जाती है। जहां पेरियार, ज्योतिबा
फुले, भगत सिंह, चार्वाक, गौतम बुद्ध, स्टीफन हाकिंग आदि के विचारों पर बात हो।
लोगों को बताईये कि ऐसे विचार वाले हम अकेले नहीं हैं, बल्कि
ऐसे लोगों की संख्या लाखों में है।
विश्व में ऐसे देशों के उदाहरण दीजिये, जो समृद्ध है, विकसित
है, जहाँ के लोग तर्कशील चिंतन वाले हैं, जहाँ विज्ञान खोजें हुई है आदि। फिर उनको बताईये कि यह कैसे संभव हुआ है।
आप न्यूजीलैंड, नीदरलैंड और दुसरे स्कैन्डनेवियन देशों के उदाहरण दीजिये कि कैसे ज्ञान और
सम्पन्नता के साथ तर्कशीलता, मानवता, वैज्ञानिकता
और नास्तिकता का विकास होता है।
शोषण के विरुद्ध चल रहे सामाजिक आंदोलनों के
बारे में बताईये। मानवाधिकार, पर्यावरण आन्दोलन, फेमिनिज्म, एलजीबीटी
आन्दोलन, लोकतंत्र की अवधारणा, मार्क्सवाद,
डार्विन की थ्योरी आदि पर पहले उनको मटेरियल उपलब्ध करवाईये,
फिर बात करना शुरु कीजिये और आखिर में उन सब पर उनसे सवाल कीजिये। कभी
भी उनका असम्मान न करिए। ऐसा भी नहीं कहिये कि उनकी समझ में नहीं आयेगा अथवा वो
गलत हैं। बस लगातार उनकी सोच समझ और तर्कशीलता का विकास कीजिये।
..और आखिरी महत्वपूर्ण बात
कहीं बहुत बोरिंग तो नहीं हो गया! क्या करें
भक्त बनना और अंधश्रद्धा का पालन करना बहुत आसान है, तर्कशील होना, नास्तिक होना,
वैज्ञानिक सोच रखना और सबसे बड़ी बात उसको अमल में लाना बहुत मुश्किल है। नास्तिकता
तथा तर्कशीलता समाज कभी आपको उपहार में नहीं देगा, बल्कि इसके लिए आपको मेहनत करनी
होगी। याद रखिये, दुनिया में कोई भी मूल्यवान चीज मुफ्त में नहीं मिलती।
यदि आपने उपरोक्त बातें करने का प्रयास किया,
लोगों के साथ प्यार व सम्मान के साथ बातें की तो यह करना तर्कशील होना है, इसका
सुकून महसूस कीजिये। महसूस कीजिये कि दुनिया को वैज्ञानिक, तर्कशील और मानवीय
बनाने आप छोटा ही सही, महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं।
..हो सकता हो, इस कार्य में आपको चार-पांच साल
भी लग जाये। यह भी संभव है कि एकाध सदस्य आपकी बातों के बात भी आपसे सहमत नहीं हो।
हर व्यक्ति को अपनी बात मानने और सम्मान के साथ जीने का अधिकार है। इसलिए प्रत्येक
व्यक्ति एक दुसरे के विचार, भावना और व्यावहार का सम्मान
करें। यह गलतफहमी न पालें कि आपके हिसाब से ही दुनिया चलेगी। देखिये! आपका परिवार,
मित्र और दुनिया तर्कशील भी होगा और नए विचारों का सम्मान करने वाला भी बनेगा।
आप सभी तर्कशील सोचने वाले लोगों को भगत सिंह की याद में मनाए जाने वाले शहीद दिवस की तथा अंतर्राष्ट्रीय नास्तिक दिवस की जोरदार बधाई, जिनकी वजह से आज यह दुनिया बेहतर, मानवीय, तर्कशील, वैज्ञानिक और प्रेमपूर्ण हुई है।
यह लेख आपको कैसा लगा, हमें कमेन्ट में लिखें।
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