एक गाँव
में दुनिया के सभी धर्मो के लोग रहते थे। धार्मिक
लोग सुबह से शाम तक पूजा पाठ में व्यस्त रहते थे । धार्मिक लोगो की "do"
की लिस्ट में कुछ ही काम थे मगर "न करने " की
उनकी लिस्ट बड़ी ही लम्बी थी । कोई नॉन-वेज नहीं खाता तो कोई दारु नहीं पीता,
कोई सिगरेट नहीं पीता तो कोई कुछ और काम नहीं करता।
उन्ही के
बीच एक नास्तिक भी रहता था। नास्तिक की लिस्ट में दारू से लेकर लड़कियों तक,
किसी बात से कोई एतराज नहीं था ,
इसीलिए नास्तिक जिंदगी के मज़े लेता रहता था और गाँव की
लड़किया भी ऐसे जिन्दा दिल इंसान को अपने बीच पाकर खुश थी।
स्वर्ग
के लालच में कहे या नर्क के डर से, धार्मिक लोग हिम्मत ही नहीं कर पाते थे। चाहकर भी,
उसके साथ बैठकर मजे नहीं मार सकते थे,
मगर उस नास्तिक को देख देख कर सभी धार्मिक लोग कुढ़ते जरूर
थे।
इसीलिए
कोई उसे दोजख में जलने की बद्दुआ देता तो कोई उसे गरम तेल में जलाने की सिफारिश
करता। कोई उसे अगले कई जन्मो तक जानवर बनने की कामना करता तो कोई उसके अगले जन्म
में उसे लड़कियों की सुरत भी न दिखे यह सोचता।
फिर एक
जलजला आया और गाँव के सभी लोग मर गए ।
स्वाभिक
रूप से सभी धर्मो के धर्मदूत गांव के अपने अपने धर्म के लोगो के कर्मो का हिसाब
करने के लिए आये , किसी को महिलाओ पर गलत नज़र रखने के कारण,
किसी को अहंकार के कारण तो किसी को लोगो से दुर्व्यवहार के
कारण,
नर्क में भेज दिया गया।
जब
नास्तिक की बारी आई तो चित्रगुप्त चकराए , उसका कोई हिसाब उनके पास नहीं था ,
उसने कभी किसी मंदिर-मस्जिद या चर्च में अपनी उपस्थिति दर्ज
ही नहीं करवाई थी इसीलिए मालूम हुआ कि नास्तिक का हिसाब तो किसी भी धर्म के दूतो
के पास नहीं है।
अब बड़ी
समस्या पैदा हुई कि इस नास्तिक का क्या किया जाए, कोई भी धर्म अपने नर्क में भी नास्तिक आदमी नहीं चाहता था,
बस फिर क्या था, उस नास्तिक को मज़े मारने के लिए फिर से जिन्दा कर दिया गया।
बस,
उस दिन से नास्तिक आजतक जिंदगी के मज़े ले रहा है,
वह दिखावा नहीं करता और न वह दोहरी जिंदगी जीता है ,
दुनियाँ को वही नज़र आता है जो वह वाकई में है।
स्वर्ग
के लालच या नर्क के डर से कोई काम न करके अपने विवेक से सही और गलत का फैसला लेता
है। किसी का भला इसीलिए नहीं करता कि किसी धार्मिक किताब में लिखा है बल्कि मानवता
के नाते,
समाज का हिस्सा होने के कारण, वह भलाई में विश्वास करता है। नास्तिकता
का बस यही परिणाम होता है।
– सुनील शर्मा
तस्वीर प्रतीकात्मक
टेलीग्राफ से साभार।