यह महज इत्तेफाक ही है कि 14 मार्च का दिन विश्व के दो महान वैज्ञानिकों की यादों से जुड़ा हुआ है। जी हाँ! इसी दिन महान वैज्ञानिक अलबर्ट आइंस्टीन का जन्मदिन (14 मार्च 1879) है, जबकि इस दिन को ही महान वैज्ञानिक स्टीफेन हॉकिंग्स का स्मृति दिवस (14 मार्च 2018) है।
आइंस्टीन ने अपनी सापेक्षता के
सिद्धांत से ब्रह्मांड के नियमो (ब्रह्मांड, समय
और गुरुत्वाकर्षण) को समझाया। इस
सिद्धांत ने विज्ञान की दुनिया को बदल कर रख दिया। वे महान वैज्ञानिक के साथ-साथ
दर्शनिक भी थे।
उन्होंने एक बार कहा था कि "यदि कोई धर्म है,
जो आधुनिक वैज्ञानिक विविधताओं का सामना कर सके,
तो वो बुद्ध धम्म है। बौद्ध धम्म को हालिया
वैज्ञानिक खोंजो के साथ अद्यतन होने के लिए किसी संशोधन की आवश्यकता नहीं है।"
महान वैज्ञानिक स्टीफेन हॉकिंग्स ने
14 मार्च 2018 को अपनी
अंतिम साँसे ली थी। मोटर न्यूरॉन डिजीज से ग्रसित होने के कारण 21 से 45 वर्ष की आयु तक शरीर के ज्यादातर अंगों ने काम करना बंद कर दिया था। गाल
की एक मांसपेशी, दिमाग
और आंखों के सहारे वे आजीवन ब्रह्मांड, ब्रह्मांड
की रचना, ब्लैक होल्स इत्यादि पर सबसे मुश्किल गुत्थियों को सुलझाते रहे। उन्होंने
बताया कि बिग बैंग से पहले ब्रम्हांड एक अनंत ऊर्जा और तापमान वाला विंदु था।
ईश्वर के अस्तित्व पर विचार व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा कि "इस संसार को किसी ईश्वर की दिव्य शक्ति ने उतपन्न नहीं किया है।
इसी प्रकार की
बात 2500 वर्ष
पहले गौतम बुद्ध ने भी ईश्वर, आत्मा
और पुनर्जन्म को नकारने के अर्थ में तथा हर घटना के पीछे किसी कारण की बात कही थी।
उन्होंने कहा था, “एस धम्मो सनंतनो।” अंग्रेजी में इसे कह सकते हैं, “इटरनल लॉ ऑफ़
नेचर एट आल लेवेल्स बाय इटसेल्फ।
– पंकज कुमार