गिद्ध का बच्चा, अपने बाप से, “आज मुझे इंसान का मांस खाना है।”
गिद्ध कहता है, “शाम को ला दूंगा बेटा।”
यह बोलकर गिद्ध
उड़ा और सूअर का मांस ले लाया।
बच्चा कहता
है, “पिताजी! यह तो सूअर का मांस है। नहीं! मुझे सिर्फ इंसान का मांस खाना है।”
गिद्ध फिर
उड़ता है और गाय का मांस लाता है।
गिद्ध का
बच्चा कहता है, “फिर वही बात ! ये तो गाय का मांस है, और आपको पता है कि मैं सिर्फ इंसान का मांस खाऊंगा।”
गिद्ध बोला, “फिर
तुम्हें शाम तक का इन्तेज़ार करना पड़ेगा।”
गिद्ध का
बच्चा इन्तेज़ार करने को सहमत हो जाता है।
फिर क्या
गिद्ध ने अजीब काम किया। वह अपनी चोंच में गाय का मांस लिया और उड़ गया। गाय के
मांस को उसने मन्दिर के पास डाल दिया। फिर उसने वापस जाकर सूअर का कुछ मांस अपनी
चोंच में लिया और उसे मस्जिद के पास डाल दिया।
..और थोड़ी ही देर
बाद इंसानों की लाशें बिछ गईं।
गिद्ध ने और
गिद्ध के बच्चे ने डटकर इंसानों का मांस खाया।
गिद्ध का
बच्चा, “पिताजी! ये हुआ कैसे? इतना सारा मांस!”
गिद्ध ने कहा,
“बेटे ! ये इंसान हैं। जो मजहब और धर्म के नाम कट मर जाते हैं। इनके नाम पर मत जाओ
कि ये इन्सान हैं। सच तो ये है कि इनमें
इंसानियत नाम की कोई चीज है ही नहीं। ये तो जानवरों से भी बदतर है।”
ऐसे ही
इंसानों के बीच रहकर आज कई सारे गिद्ध इंसानों को धर्म और मज़हब के नाम पर लड़ा रहे
हैं। इंसानियत का खून बह रहा है। गिद्ध को सत्ता रूपी बोटी मिल रहा है।
इसलिए कहता
हूँ –
मत लड़ो मजहब
और धर्म के नाम पर ऐ इंसान,
तेरे बच्चे
तरस जायेंगे रोटी के एक एक टुकड़े को।
– सोशल मीडिया
वास्तविक
लेखक का पता नहीं। यह व्हात्सप्प ग्रुप से होता हुआ हमारे पास आया है। यदि आप इसके
लेखक हैं, तो कृपया आपके मूल लेख का लिंक देने की कृपा करें, जिससे आपका नाम आभार सहित शामिल कर सकें।
तस्वीर uTRACK से साभार।