नास्तिकता
बिल्कुल आसान नहीं होता है। यह इंसान की विचार-शक्ति का सबसे ऊँचा स्तर है। तर्क
और ज्ञान इंसान को नास्तिकता के रास्ते की ओर ले जाते हैं। एक बार उस रास्ते में
कदम रखने के बाद मनुष्य कंधों पर लदे सारे अंधविश्वास,
कुसंस्कार, धर्म, पाप-पूण्य, स्वर्ग-नरक, पुनर्जन्म, आत्मा-परमात्मा जैसे बोझ से मुक्त होकर सच में जिंदगी में
मुस्कुराना शूरु करता है।
अब आप
कहेंगे कि आपने फिर ये सिंदूर, मंगलसूत्र, हाथ में कंगन ये क्यूँ पहन रखे हैं, तो मैं आप लोगों को
बताना चाहती हूँ कि ये सब औरत का गहना होता है। इनका आस्था से कोई संबंध नहीं है।
अगर मांग में सिंदूर नहीं लगाएंगे, तो भी कुछ नहीं होगा,
पर अभी तक हमारी सोसाइटी, समाज इसे स्वीकार नहीं करता है, इसलिए लगाना पड़ता है।
सिंदूर नहीं लगाने मात्र से मेरे जीवन साथी की उम्र कम नहीं
हो सकती है और न ही लगाने से उम्र बढ़ सकती है। ये आप लोगों के मन का वहम है। करवा
चौथ का व्रत रखने से भी कोई जीवन साथी की उम्र नहीं बढ़ती है और नहीं करने से घटती
भी नहीं है। इन अंधविश्वास से लबरेज ना होकर और इन सब से दूर सोचकर देखो जिंदगी
में मुस्कान ही मुस्कान झलकेगी।
– મુનેશી મીના (सुनीता मीना)
यह लेख फेसबुक
से लिया गया है। इसके लिए लेखिका और नास्तिकता प्रचार अभियान का आभार।