क्यों कहते थे राहुल सांकृत्यायन कि ‘भागो नहीं दुनिया को बदलो’
अनुभवों से सीखने की क्षमता से और किसी भी पद्धति कि कोई औपचारिक शिक्षा नहीं लेने वाले एकमात्र महा…
अनुभवों से सीखने की क्षमता से और किसी भी पद्धति कि कोई औपचारिक शिक्षा नहीं लेने वाले एकमात्र महा…
ईश्वर के भक्तों ने हमेशा से विज्ञान की उन्नति में बाधा पहूँचाई है , जिस कारण विज्ञान की उन्नति उ…
धर्म की खोज के कई सौ साल बीत गए लेकिन धर्मों के प्रति लोगों का आकर्षण कम नहीं हुआ है। कुछ अपव…
हमारे देश भारत में धार्मिक बनना सहज है , हम सभी को पैदा होते ही धर्म को घुट्टी की तरह पिलाया जा…
नास्तिकों से हर धर्म और सम्प्रदाय के लोगों को खतरा रहता है। वे नहीं चाहते कि कोई पीढ़ी सोचने सम…
यह लेख भगत सिंह ने जेल में रहते हुए लिखा था और यह 27 सितम्बर 1931 को लाहौर के अखबार…
जब बतौर इंसान हमारा जन्म होता है , हममें केवल दो ही डर होते हैं- शोर और ऊंचाई का डर। इसके अलाव…
साथियों! “मैं नास्तिक क्यों हूँ” वाली सीरीज में यह चौथा आलेख है। नास्तिक, तर्कशील और संशयवादी साथ…
भारत में तर्कशील आन्दोलन कोई नया नहीं है। प्राचीन काल से चार्वाक, बुद्ध जैसे लोग तर्कशीलता पर तथा…
भारत में धार्मिक रीति रिवाजों की परंपराओं को निभाने की जिम्मेदारी महिलाओं के ऊपर थोपा हुआ है। महि…
यह एक तथ्य है कि प्राचीन काल से ही भारत और दुनिया के अन्य देशों में नास्तिक रहे हैं। भारत में गौत…
आईये जानते हैं कि मकर संक्रांति क्या है और इसे 14 जनवरी को ही क्यों मनाते हैं? क्या इसे 14 जनवर…